Book Title: Bhagvana Mahavira Diwakar Chitrakatha 009 010
Author(s): Purnachandramuni, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan
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करुणानिधान भगवान महावीर
एक बार भरत चक्रवर्ती भगवान ऋषभदेव का प्रवचन सुनने आये। प्रवचन के पश्चात् भरत चक्रवर्ती ने पूछा
प्रभो ! आज संसार में आप जैसा ज्ञानादि दिव्य विभूतियों से संपन्न दूसरा कोई नहीं है। परन्तु क्या कोई ऐसा जीव यहाँ उपस्थित है, जो भविष्य
में आपके समान बन सकेगा?
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भगवान ऋषभदेव बोले.
भरत ! तुम्हारा पुत्र मरीचि भविष्य | में वर्धमान नामक चौबीसवां तीर्थंकर
बनेगा। तीर्थंकर बनने से पहले वह | वासुदेव और चक्रवर्ती भी बनेगा।
भगवान की भविष्यवाणी सुनकर सम्राट भरत के हर्ष का पार नहीं रहा। वे नंगे पाँव ही समवसरण के बाहर भागे और मरीचि को भविष्यवाणी सुनायी। अपना भविष्य सुनकर मरीचि बहुत प्रसन्न हुआ। उसे अपने कुल पर घमण्ड होने लगा
वाह ! मेरा कुल कितना महान है! मेरा वंश संसार में
सबसे उत्तम है!
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