Book Title: Bhagvana Mahavira Diwakar Chitrakatha 009 010
Author(s): Purnachandramuni, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

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Page 70
________________ करुणानिधान भगवान महावीर कुछ समय पश्चात् गौतम ने अपने आपको सम्हाल लिया। सोचते-सोचते गौतम आत्म-ध्यान की गहराईयों में उतर गये। प्रातःकाल होते-होते गौतम ने अपने चारों घाती ओह ! वास्तव में ही प्रभु के प्रति कों का क्षय करके केवल ज्ञान प्राप्त कर लिया। मेरा मो अनुराग है उसे समाप्त करने के लिए उन्होंने मुझे अपने से दूर भेजा। TITI TIMOON जिस दिन भगवान का निर्वाण हुआ उस दिन अमावस की रात थी। कार्तिक सदी एकम के दिन लोगों ने भगवान का देवताओं ने रत्न और मनुष्यों ने दीप मालायें मलाकर अन्धकार | निर्वाण उत्सव और गणधर गौतम का केवलज्ञान को दूर करने का प्रयत्न किया। उसी दिन से दीपोत्सव (दीपावली) उत्सव मनाया। पर्व का प्रारम्भ हुआ। FOLIONSAR ONAVI समाप्त 68 For Private & Personal use only www.janelibrar

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