Book Title: Bhagvana Mahavira Diwakar Chitrakatha 009 010
Author(s): Purnachandramuni, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan
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करुणानिधान भगवान महावीर
अपने कर्त्तव्य का विचार कर सौधर्मेन्द्र ने सेनापति हरिणैगमैषी को बुलवाया।
ओह ! लगता है मेरा सब कुछ लुट गया।.
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हरिणैगमैषी, आप देवानन्दा ब्राह्मणी के गर्भ से भावी तीर्थंकर का संहरण करके महारानी त्रिशळा के गर्भ में स्थापित करें ।
हरिणैगमैषीदेव ने इन्द्र की आज्ञा का पालन किया। देवानन्दा के गर्भ को त्रिशला रानी के गर्भ में स्थापित कर दिया।
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और त्रिशला रानी के गर्भ को देवानन्दा के गर्भ में रख दिया।
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