Book Title: Bhagvana Mahavira Diwakar Chitrakatha 009 010
Author(s): Purnachandramuni, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

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Page 28
________________ करुणानिधान भगवान महावीर प्रातःकाल की प्रकाश किरणे फूटने के साथ प्रियंवदा | | महाराज सिद्धार्थ ने इस खुशी में अपने गले का हार, दासी ने महाराज सिद्धार्थ को पुत्र जन्म की सूचना दी। दासी को देते हुए कहा (इस खुशी के अवसर पर तुम्हें जीवन महाराज बधाई हो! बधाई भर के लिए दासकर्म से मुक्त हो! महारानी ने भाग्यशाली किया जाता है। पुत्र रत्न को जन्म दिया है। oldenrescece 5mm UML हर्ष उल्लास से पुलकित महाराज सिद्धार्थ | ने महामन्त्री को बुलाकर आदेश दिया। क्षत्रियकुण्ड में हर्षोल्लास से दस दिन तक भगवान का जन्मोत्सव मनाया गया। MIN समूचे नगर में उत्सव मनाया जाय, कैदियों को रिहा कर दो। गरीबों को दान देने के लिये राजकोष के द्वार खोल दो।) HATHRSHA 26 For Private & Personal Use Only Wioww.jainelibrary.orn

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