Book Title: Bhagvana Mahavira Diwakar Chitrakatha 009 010
Author(s): Purnachandramuni, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan
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ग्वाला गाँव से लौटकर आया तो देखा कि बैल वहाँ नहीं हैं। उसने महावीर से पूछा
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मेरे बैल कहाँ गये?
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परन्तु भगवान ध्यान में मौन खड़े रहे।
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करुणानिधान भगवान महावीर
ग्वाला रात भर बैलों को खेतों में ढूँढ़ता रहा। सुबह होते-होते उसने देखा बैल तो भगवान के पास बैठे जुगाली कर रहे हैं।
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अच्छा ! इसी ढोंगी साधु ने बैलों को चुराया लगता है ? जरूर यह चोर है। अभी इसको देखता हूँ...
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हाथ में रस्सी लेकर वह महावीर को मारने दौड़ा। तभी इन्द्र वहाँ प्रकट हुये और ग्वाले का हाथ पकड़ लिया।
मूर्ख ! अज्ञानी? यह क्या कर रहा है? जानता नहीं
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यह कौन हैं? राजा सिद्धार्थ के पुत्र वर्धमान हैं ये, क्या तेरे बैल चुरायेंगे?
चल भाग यहाँ से।
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ग्वाला भगवान से क्षमा माँगकर चला गया।
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