Book Title: Bhagvana Mahavira Diwakar Chitrakatha 009 010
Author(s): Purnachandramuni, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

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Page 45
________________ भगवान महावीर ने इस निर्दयी यक्ष के हृदय में करुणा की गंगा प्रवाहित कर दी। वह भगवान की भक्ति करने लगा। प्रातःकाल होने पर लोग मन्दिर के बाहर खड़े होकर झाँकने लगे। CHAMMA Hindi GETTO TREE अरे, यह भिक्षु तो जीवित है ? FIRN M CUTTHORCHES PAGE www Kar AND SPRED SETTOR DILIP CHA अरे बाबा ! इधर मत जाओ एक कालिया नाग रहता है। अस्थिक ग्राम से विहार कर आगे बढ़ते हुए महावीर एक घने सुनसान जंगल से गुजर रहे थे। पीछे से ग्वालों ने पुकारा कुछ TTL CHOY NA दृष्टि विष सर्प है, बड़ा खतरनाक है। जीवित नहीं छोड़ेगा। ओह ! यह क्रूर दानव तो इसकी भक्ति कर रहा है। Qu Funera सभी ग्रामवासी मिलकर श्रमण महावीर की भक्ति पूजा करने लगे। ग्वालों की पुकार सुनकर भी महावीर रुके नहीं। चलते गये। D M The Mar ANZ आज इस जहरीले नाग को ही क्षमा का अमृत पिलाना है। 15321 www KMZ AN ww Nalin AM www.jainelibrary.org

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