Book Title: Bhagvana Mahavira Diwakar Chitrakatha 009 010
Author(s): Purnachandramuni, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan
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उसी समय कम्बल-सम्बल नाम के दो नागकुमार | | कम्बल-सम्बल देवों ने नाव को उठाकर गंगा देव आकाश मार्ग से गुजर रहे थे। उन्होंने यह दृश्य । नदी के तट पर पहुंचा दिया। देखा तो सुदंष्ट्र को ललकारा-1
दुष्ट ! अज्ञानी ! तू किनको
कष्ट दे रहा है? ये क्षमासागर प्रभु संसार का कल्याण करने
वाले हैं।
नागकुमारों की ललकार सुनकर सुदंष्ट्र भाग गया।
यात्रियों ने भगवान महावीर की वन्दना की
(प्रभो ! आज आपकी कृपा से ही
सबकी जान बची है!
SIMONIN
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