Book Title: Bhagvana Mahavira Diwakar Chitrakatha 009 010
Author(s): Purnachandramuni, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

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Page 67
________________ करुणानिधान भगवान महावीर क्रोध में आग बबूला हुए गौशालक ने महावीर पर भी तेजोलेश्या और आकाश में ऊँची उछली।। छोड़ी। आग की लपटें भगवान के चारों तरफ घूमने लगीं।। भगवान के दिव्य अतिशय के प्रभाव से तेजोलेश्या परास्त हो गयी और वापस गौशालक के शरीर में प्रवेश कर गयी।। हाय ! मैं मरा, जल गया बचाओ। realion Intemational गौशालक का शरीर ऊपर से जल गया। वह पीड़ा से कराहता रोता-चीखता वहाँ से चला गया। सात दिन बाद उसकी मृत्यु हो गयी। 65 Personal ionty.org

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