Book Title: Bhagvana Mahavira Diwakar Chitrakatha 009 010
Author(s): Purnachandramuni, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan
View full book text
________________
करुणानिधान भगवान महावीर
एक बार श्रमण महावीर विहार करते हुये पेढाल गाँव के बाहर कायोत्सर्ग ध्यान में लीन होकर खड़े थे। स्वर्ग में सौधर्मेन्द्र ने भगवान की यह अविचल ध्यानलीनता देखकर वहीं से वन्दना की। भगवान आप धन्य हैं। ध्यान और धैर्य में आपकी कोई समानता नहीं कर सकता।
TAMDAM
ल
Fation International
mwww.
Bu
वहाँ उपस्थित संगम नाम का एक दुष्ट देवता इन्द्र से बोलादेवराज ! मनुष्य में ऐसी सामर्थ्य नहीं हो सकती जो देव शक्ति से भी न डिगे। अगर आप बीच में न आयें तो मैं महावीर को एक रात में ही डिगा कर दिखा दूँ?
For Priva Personal Use Only
CHHA
पृथ्वी पर आकर संगम ने भगवान का ध्यान भंग करने की दुष्चेष्टा की। चारों ओर धूल उड़ाकर भगवान के नाक मुँह में धूल भर दी। साँप, बिच्छुओं को उनके शरीर पर छोड़ दिया। हाथी का रूप बनाकर सूँड से पकड़कर आकाश में उछालने लगा। पिशाच बनकर मुँह से ज्वाला मुखी की तरह लपटें निकालकर भगवान को भस्म करने की कोशिश की।
यह कहकर संगम महावीर की परीक्षा लेने धरती पर चल दिया।
www.jainelibrary.org