Book Title: Bhagvana Mahavira Diwakar Chitrakatha 009 010
Author(s): Purnachandramuni, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

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Page 58
________________ करुणानिधान भगवान महावीर इस प्रकार कठोर तप ध्यान साधना करते हुए बारह वर्ष से अधिक समय व्यतीत हो गया। भगव महावीर जृम्भक ग्राम के निकट ऋजुबालुका नदी के तट पर पहुँच गये। वहाँ स्थित साल वृक्ष के नीचे गो-दुहासन में, दो दिन के निर्जल उपवास के साथ गहरी समाधि में लीन हो गये। CEAV असंख्य देवी-देवता भगवान का केवलज्ञान महोत्सव मनाने धरती पर आ पहुँचे। देवताओं ने समवसरण की रचना की। भगवान ने प्रथम धर्म देशना दी। CAD संसार दुःखों का मूल है। दुःखों की परंपरा को बढ़ाने वाला है। अपने मन, वचन और कर्म से किसी भी जीव तो दुःख मत दो। Mon alted # अष्ट प्रातिहार्य = तीर्थंकर के आठ विशिष्ट प्रभाव। * समवसरण - अरिहंत भगवान की प्रवचन सभा । * वैशाख सुदी दसमी के दिन चन्द्रमा के साथ उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र का योग होने पर संध्या के समय में वहीं उन्हें केवलज्ञान, केवलदर्शन प्राप्त हुआ। वे अरिहन्त पद को प्राप्त हो गये तथा अनेक अतिशयों एवं अष्ट प्रातिहार्यो# से युक्त बने । 56 For Private & Personal Use Only An AN 311ms www 222 Immu ne www.jainelibrary.org

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