Book Title: Bhagvana Mahavira Diwakar Chitrakatha 009 010
Author(s): Purnachandramuni, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan
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करुणानिधान भगवान महावीर
परन्तु भगवान बिना भिक्षा लिये वपिस लौटने चन्दना का विलाप सुनकर भगवान महावीर वापस लगे तो चन्दना की आँखों में से आँसओं की लौट आये। चन्दना ने अत्यन्त भाव विखल होकर झड़ी बरसने लगी।
उड़द के बाकले भगवान को भिक्षा में दिये।
प्रभो ! यह क्या? सब नाते-रिश्तेदारों ने साथ छोड़ा तो छोड़ा आज आपने भी साथ छोड़ दिया। मेरा भाग्य ही रूठ गया
है। घर आती गंगा लौट गई?,
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भगवान के भिक्षा ग्रहण करते ही आकाश में देवता दिव्यघोष करते हुए सोने, हीरे, रत्नों की वर्षा करने लगे।
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दिव्य प्रभाव से चन्दना के शरीर पर पड़ी हुई बेडियाँ हीरे-मोती के आभूषण बन गये। उसके शरीर पर सुन्दर वस्त्र चमकने लगे। भगवान महावीर के अभिग्रह पूर्ण होने की खबर सुनकर राजा शतानीक और रानी मृगावती भी वहाँ पहुँचे और चन्दनबाला को अपने साथ महलों में चलने का आग्रह किया। किन्तु चन्दनबाला नहीं गयी। वह भगवान महावीर के चरणों में दीक्षा लेने के लिए समय की प्रतीक्षा करने लगी। • पदणमाला की विस्तृत जीवन कथा दिवाकर चित्रकथा के राजकुमाटी 'पदमबाला अंक में पढ़े।
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