Book Title: Bhagvana Mahavira Diwakar Chitrakatha 009 010
Author(s): Purnachandramuni, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan
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करुणानिधान भगवान महावीर
भगवान महावीर नाग की बांबी के पास पहुँच कर ध्यान में लीन हो गये। नाग बांबी से निकला तो महावीर को देखा। क्रोधित होकर उसने जहरीली फुंफकार मारी।
चण्डकौशिक नाग ने क्रोधित होकर भगवान के पैर में डंक मारा। परन्तु आश्चर्य भगवान के | पैरों से दूध समान श्वेत खून निकलने लगा।
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परन्तु,
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कौन है यह दुस्साहसी'
मानव? मेरी जहरीली फुत्कार से हिला भी नहीं।
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तभी महावीर ने करुणा भरी दृष्टि से उसे निहारा ।।
बुज्झ, बुज्झ चण्डकौशिक....। र चण्डकौशिक ! शान्त हो जाओ। अपने को समझो !
इस महाक्रोध से ही जन्म-जन्म में तुम्हारी दुर्गति होती रही है।
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हो गया।
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