Book Title: Bhagvana Mahavira Diwakar Chitrakatha 009 010
Author(s): Purnachandramuni, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

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Page 34
________________ महावीर मौन रहे। तब नन्दीवर्धन ने कहा अच्छा भाई, मेरा स्नेहाग्र मानकर दो वर्ष तक और रूक जाओ, फिर दीक्षा ले लेना। करुणानिधान भगवान महावीर भाई की बात मानकर महावीर दो वर्ष तक घर में ही त्यागमय जीवन बिताते रहे। सान महावीर का दीक्षा संकल्प जानकर नवलोकान्तिक देवों ने आकर प्रार्थना की हे ! धर्म का प्रकाश करने वाले सूर्य, आपकी जय हो! आपका यह संकल्प महान है। संसार को आत्म कल्याण का मार्ग दिखलाइये। धर्म तीर्थ का प्रवर्तन कीजिए। दीक्षा लेने से पहले राजकुमार महावीर ने एक वर्ष तक प्रतिदिन प्रातःकाल एक प्रहर तक निरन्तर एक करोड़ आठ लाख स्वर्ण मुद्रायें दान की। अमीर-गरीब सभी उनका दान लेने आते और प्रसन्न होकर लौटते। 32 For Private & Personal Use Only SOCCERAY www.jainelibrary of

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