Book Title: Bhagvana Mahavira Diwakar Chitrakatha 009 010
Author(s): Purnachandramuni, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

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Page 21
________________ करुणानिधान भगवान महावीर | त्रिपृष्ठ वासुदेव ने अपना सारा जीवन भोग-विलास और युद्धों में बिता दिया। । elo मृत्यु प्राप्तकर उनका जीव बीसवें भव में महावीर का इक्कीसवें भव में चौथे सातवें नरक में गया। | नीव केसरी सिंह बना। नरक में गया। और बाईसवें भव में विमल नामक राजकुमार बना। भगवान महावीर का जीव अपने तेईसवें भव में महाविदेह क्षेत्र की मूका नगरी में राजा धनंजय और धारिणी रानी के घर रामकुमार के रूप में जन्मा। कुमार का नाम प्रियमित्र रखा गया। राजकुमार गरीबों के प्रति दयालु और पशु-पक्षियों के प्रति करुणावान था। RIDIUIRTUTEDY al Education International For Pro 9. Personal Use Only www.jainelibrary.org

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