Book Title: Bhagvana Mahavira Diwakar Chitrakatha 009 010
Author(s): Purnachandramuni, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 13
________________ करुणानिधान भगवान महावीर । सैकड़ों वर्षों तक तपस्या करने से मुनि | विश्वभूति को कई लब्धियाँ प्राप्त हो गई। एक बार मुनि विश्वभूति मासखमण की तपस्या का पारणा लेने के लिये मथुरा पधारे।इधर राजकुमार विशाखानन्दी भी मथुरा आया हुआ था। उसने मुनि विश्वभूति को राजमार्ग पर चलते देखा तो पहचान लिया। अरे ! यह तो विश्वभूति है। इसका शरीर कितना दुर्बल हो गया है? RELETE मुनि भिक्षा के लिये धीरे-धीरे द्वार-द्वार घूम रहे।। थे, तभी एक गाय ने उन्हें टक्कर मार दी। मुनि जमीन पर गिर पड़े। यह देखकर विशाखानन्दी खूब जोर से हंसाहा ! हा ! क्या तुम वही विश्वभूति हो, जिसकी एक लात से विशाल वृक्ष पत्ते की तरह काँपने लगा था ? आज गाय की हल्की सी टक्कर से गिर पड़े ? कहाँ गया तुम्हारा पराक्रम, कहाँ गयी तुम्हारी शक्ति ? |0pn LADE Dinal BRINE Jain Education International For Private Personal use only

Loading...

Page Navigation
1 ... 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74