Book Title: Bhagvana Mahavira Diwakar Chitrakatha 009 010
Author(s): Purnachandramuni, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan
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जब अश्वग्रीव ने त्रिपृष्ठ कुमार के बल और शौर्य के चर्चे सुने तो उसके मन में एक शंका उठी। उसने ज्योतिषी को बुलाकर पूछा
क्या इस जगत में मुझसे (बढ़कर बलशाली कोई है ? जो मुझे मारकर मेरा राज्य छीन ले?
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करुणानिधान भगवान महावीर
उसने चण्डमेघ दूत को प्रजापति के पास भेजा। दूत सीधा राजसभा में घुस आया और अल्हड़पन से एक ऊँचे आसन पर जाकर बैठ गया। यह देखकर त्रिपृष्ठ कुमार को 'बहुत क्रोध आया।
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ज्योतिषी ने बताया
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इस मूर्ख दूत को राजसभा में आने और बैठने की भी तमीज नहीं है। इसे धक्के देकर सभा से बाहर निकाल दो।
अश्वग्रीव का दिल धड़क उठा।
महाराज, जो वीर आपके चण्डमेघदूत का अपमान करेगा और तुंगगिरी पर्वतों में रहने वाले खूँखार केसरी सिंह को मार डालेगा उसी व्यक्ति के हाथों आपकी मृत्यु होगी।
सैनिकों ने चण्डमेघ दूत को अपमानित करके राजसभा से बाहर धकेल दिया।
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