Book Title: Aradhak Banvano Marg
Author(s): Bhadrankarvijay
Publisher: Bhadrankarvijay

View full book text
Previous | Next

Page 17
________________ महामंत्रनी अनुप्रक्षा १७ माता अने अढार हजार शीलांग रथना धोरी छे। तेमने नमस्कार करवाथी तेमनामा रहेला बधा गुणोने नमस्कार थाय छे, गुणो प्रत्ये अनुकूलतानी बुद्धि अने दोषो प्रत्ये प्रतिकूलपगानी सन्मति जागे छ । राग द्वेष भने मोहनो क्षय नवपद युक्त नवकारथी नवमुपापस्थान लोभ अने अढारमुपापस्थान मिथ्यात्वशत्य नाश पामे छे । नवकार ए दुन्यवी लोभनो शत्रु छे केमके एमां जेने नमस्कार करवामां आवे छे, ते पांचे परमेष्ठि भगवंतो संसार सुखने तृणवत् संमजी तेनो त्याग करनारा छे मने मोक्षसुख ने प्राप्त करवा माटे परम पुरषार्थ करनारा छ । नवकार जेम सांसारिक सुखनी वासना अने तृष्णानो त्याग करावे छे, तेम मोक्षसुखनी अभिलाषा अने तेने माटे ज सर्व प्रकारनो प्रयत्न करता शीखवे छे। नवकार ए पापमां पापबुद्धि अने धर्ममां धर्मबुद्धि शीखवनार होवाथी मिथ्यात्वशल्य नामना पापस्थानकनो छेद उडावे छे अने शुध्ध देव, गुरु तथा धर्म उपर प्रेम जगाडी स रत्नने निर्मळ बनावे छ । नवकारथी भवनो विराग जागे छे ते लोभ कषायने हणी नाखे छे अन नवकारथा भगवद्-बहुमान जागे छे ते मिथ्यात्वशल्यने दूर करी आपे छ । राग दोषनो प्रतिकार ज्ञानगुण वडे थाय छे । ज्ञानी पुरुष निष्पक्ष होवाथी पोतामां रहेलां दुष्कृत्योने जोई शके छे । निरन्तर तेनी निंदागर्दी करे छे । अने ते द्वारा पोताना आत्माने दुष्कृत्योथी उगारी ले छे । द्वेष दोषनो प्रतिकार दर्शन गुणवडे थाय छ। सम्यग् दर्शन गुणने धारण करनार पुण्यात्मा नमस्कारमा रहेला अरिहंतादिना गुणोने, सत्कर्मोने अने बिश्वव्यापी उपकारोने जोई शके छे, तेथी तेने विषे प्रमोदने धारण करे छे, सत्कमो अने गुणोनी अनुमोदना तथा प्रशंसा द्वारा पोताना आत्माने सन्मार्गे वाळी शके छ । ज्ञान-दर्शन गुणनी साथे ज्यारे चारित्र गुण भळे छे, त्यारे मोह दोषनो मूळ थी क्षय थाय छ। मोह जेवाथी पापमां निष्पापतानी अने धर्मेमां अकर्तव्यतानी बुद्धि दूर थाय छ । ते दूर थवाथी पापमा प्रवर्तन अने धर्ममां प्रमाद-बेदरकारी अटकी जाय छ। पापनु परि वर्जन अने धर्मनु सेवन अप्रमत्तपणे थाय छे । ते प्रात्मा चरित्र धर्मरूपी महाराजना राज्यनो वफादार सेवक बने छे अने मोक्ष साम्राज्यना सुखनो अनुभव करे छ । . .. नवकारमा सम्यग् ज्ञान, सम्यग् दर्शन अने सम्यक् चारित्र ए त्रणे गुणोनी आराधना रहेली होवाथी दुष्कृत गर्दा, सुकृतानुमोदना अने प्रभु आज्ञानुपालन प्रतिदिन वध जाय छे, तेथी मुक्ति सुखना अधिकारी थवाय छ ।

Loading...

Page Navigation
1 ... 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64