Book Title: Aradhak Banvano Marg
Author(s): Bhadrankarvijay
Publisher: Bhadrankarvijay
View full book text
________________
महामंत्रनी अनुप्रेक्षा
३३
नमो पद वडे नादनी अरिहं पद वड़े बिंदुनी अने ताणं पद वडे कलानी साधना थाय छे ।
नवकार मंत्र वड़े नास्तिकता, निराशा अने निरुत्साहता नाश पामेछे तथा नम्रता, निर्भयता अने निश्चितता प्राप्त थाय छे ।
नवकार मंत्रमा पोतानी कर्मबद्ध अवस्थानो स्वीकार थाय छ । अरिहंतोनी कर्ममुक्त अवस्थानु ध्यान थाय छे तथा कर्ममुक्तिना उपायो स्वरूप ज्ञान, दर्शन अने चारित्रनु आराधन थाय छ ।
क्षायिक भावनी प्राप्ति नवकार मंत्र वडे औदयिक भावोनो त्याग, क्षायोपशमिक भावोनो आदर अने परिणामे क्षायिक भावनी प्राप्ति थाय छ । .. नवकार मंत्रना आराधकने मघुरपरिणामनी प्राप्तिरूप साम भाव, तुला परिणामनी आराधनारूप समभाव अने क्षीर खंड युक्त अत्यंत मधुर परिणामनी आराधनारूप सम्मभावनी परिणतिनो लाभ थाय छ ।
नवकारनी आराधना वडे चिंतामणि, कल्पवृक्ष अने कामकुंभथी पण अधिक एवा श्रद्धय, ध्येय अने शरणनी प्राप्ति थाय छ ।
नमो पदं वडे क्रोधनो दाह शमे छे, अरिहं पद वडे विषयनी तृषा जाय छे अने ताणं पद वडे कर्मनो पंक शोषाय छ । दाह शमवाथी शांति थाय छे, तृषा जवाथी तुष्टि थाय छे अने पंक शोषावाथी पुष्टि थाय छे, तेथी या मंत्रने तीर्थ जळनी अने परमान्ननी उपमानो यथार्थपणे घटे. छे । नमो ए उपशम छ, अरिहं ए विवेक छे अने ताण ए संवर छ ।
परमान्ननु भोजन जेम क्षुधानु निवारण करे छे तथा चित्तने तुष्टि अने देहने पुष्टि करे छे, तेम आ मंत्रनुं आराधन पण विषय क्षुधार्नु निवारण करनार होवाथी मनने शांति, चित्तने तुष्टि अने प्रात्माने पुष्टि करे छ ।
नवकार मंत्रमां कृतज्ञता अने परोपकार, व्यवहार अने निश्चय, अध्यात्म अने योग, ध्यान अने समाधि, दान अने पूजन, शुभ विकल्प अने निर्विकल्प, योगारंभ अने योगसिद्धि, सत्त्वशुद्धि सत्त्वातीतता, पुरुषार्थ अने सिद्धि, सेवक अने सेव्य, करुणापात्र अने करुणावंत वगेरे साधनानी सघळी सामग्री रहेली छे । ईच्छा ज्ञान अने क्रियानो सुंदर सुमेळ होवाथी आत्मशक्तिना विकास माटे परिपूर्ण सामर्थ्य तेमां रहेलुं छे । ते कारणे शास्त्रोमां को छे के:

Page Navigation
1 ... 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64