Book Title: Aradhak Banvano Marg
Author(s): Bhadrankarvijay
Publisher: Bhadrankarvijay

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Page 22
________________ श्री कापरड़ा स्वर्ण जयन्ती महोत्सव अन्य मंत्रनो जाप हृदयमांथी दूषित भावनाप्रोने बहार काढी अन्तःकरणने शुद्ध करे छ । मंत्र जाप वडे गरमी वधवाथी मस्तिष्कनी गुप्त समृद्धिनो कोष खुली जाय छे अने ए द्वारा धार्यु कार्यसिद्ध थाय छ। ___ शब्द रचनानी शक्ति अत्यन्त प्रबळ होय छ । जे कार्य वर्षोमां नथी थई शकतु, ते कार्य योग्य शब्द रचना द्वारा थोडी ज क्षणोमां थई शके छ । नमस्कार मन्त्र ए कारणथी मोटो मंत्र गणाय छे अने मोटामां मोटा असाध्य-दुःसाध्य कार्यों पण एनाथी सिद्ध थतां जोवाय छ । 'उत्साहान्निश्चयात् धैर्यात्, संतोषात्तत्त्वदर्शनात् । मुनेर्जनपदत्यागात्' षड्भिर्योगः प्रसिध्यति ॥' बीजा योगनी जेम मंत्रयोगनी सिद्धि पण उत्साहथी, निश्चयथी, धैर्यथी, संतोषथी, तत्त्वदर्शनथी अने लोकसंपर्कना त्यागथी थई शके छे । प्रमूर्त अने मूर्त बच्चेनो सेतु नमो ए धर्मवृक्षनु मूळ छे, धर्म नगरनु द्वार छे, धर्म प्रासादनो पायो छे, धर्मरत्ननु निधान छे, धर्म जगतनो आधार छे अने धर्म रसनु भाजन छ । नमस्कार रूपी मूळ विना धर्मवृक्ष सूकाय छे । नमस्कार रूपी द्वार विना धर्म नगरमा प्रवेश अशक्य छे । नमस्कार रूपी पाया विना धर्म प्रासाद टकी शकतो नथी। नमस्कार रूपी निधान विना धर्मरत्नोन रक्षण थत् नथी। नमस्कार रूपी आधार विना धर्म जगत् निराधार छ । नमस्काररूपी भाजन विना धर्मरस टकी शकतो नथी अने धर्मनारसनो स्वाद चाखी शकातो नथी। _ 'विनय-मूलो धम्मो ।' धर्मनु मूळ विनय छ । नमस्कार ए विनयनो ज एक प्रकार छ । गुणानुराग ए धर्म द्वार छे अने नमस्कार गुणानुरागनी क्रिया छ । श्रद्धा ए धर्ममहेलनो पायो छे, नमस्कार ए श्रद्धा अने रुचिनुज बीजु नाम छ । मूल गुणो अने उत्तर गुणो ए रत्नो छे, नमस्कार तेनु मूल्यांकन छ । चतुर्विध संघ अने मार्गानुसारी जीवो ए धर्मरूपी जगत छे, तेमनो आधार नमस्कार भाव छ । समता भाव, वैराग्य भाव, उपशमभाव ए धर्मनो रस छ । ते रसास्वाद माटेनुभाजन पात्र के आधार नमस्कार छ। विनय, भक्ति, श्रद्धा, रुचि, आर्द्रता, निरभिमानिता वगेरे नमस्कार भावना ज पर्यायवाचक विभिन्न शब्दो छ । तेथी नमस्कार भाव एज धर्मनु मूल, द्वार, पीठ, निधान, आधार अने भाजन छ । अमूर्त अने मूर्त वच्चे एक मात्र पुल, सेतु के संधि होय तो ते नमस्कार छ । नवकारमा सर्व संग्रह .. - नवकारमा चौद 'न' कार छ, (प्राकृत भाषामा 'न' अने 'ण' बन्ने विकल्पे आवे छे)

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