Book Title: Aptavani Shreni 02
Author(s): Dada Bhagwan
Publisher: Dada Bhagwan Aradhana Trust

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Page 9
________________ संपादकीय जिनके एक-एक शब्द से अनंतकाल का संसार रोग निर्मूल हो जाता है, जिनकी एक दहाड़ से जिज्ञासुओं का अनंतकाल से सुषुप्त आत्मा जागृत हो जाता है, जिनके सुचरणों में काल, कर्म और माया थम जाते हैं, ऐसे परम पूज्य दादाश्री की प्रकट सरस्वती स्वरूप वाणी का इस ग्रंथ में संकलन किया गया है। वीतराग वाणी जिससे कि इस प्रकृति का पारायण पूरा हुआ, तो हो गया वीतराग।' 'आप्त' वाणी होने के कारण इसे किसी भी काल में कोई भी काट नहीं सकता, क्योंकि इस स्यादवाद वाणी से किसी भी जीव के प्रमाण को ठेस नहीं पहुँचती। प्रकट परमात्मा को स्पर्श करके निकली हुई सहज कल्याणमयी वाणी जो कि द्रव्य, क्षेत्र, काल, भाव या प्रसंगों के निमित्ताधीन निकली होती है। ऐसी वाणी का संकलन करना अति-अति कठिन है। नम्रभाव से ज्ञानग्रंथ के संकलन की क्षतियों के लिए क्षमा चाहती हूँ। यह ज्ञान ग्रंथ या धर्म ग्रंथ नहीं है, लेकिन विज्ञान ग्रंथ है। इसमें आंतरिक विज्ञान का, वीतराग विज्ञान का ज्ञानार्क जो कि परम पूज्य दादाश्री के श्रीमुख से प्रकट हुआ है, उसे प्रस्तुत करने का प्रयत्न किया गया है, बाकी, 'जैसा है वैसा' तो उनके प्रत्यक्ष दर्शन से ही प्राप्त हो, ऐसा है। फिर भी, जब तक जगत् के किसी भी कोने में उनकी उपस्थिति होगी, तब तक यह ज्ञानग्रंथ यथार्थ फल देगा। यह ज्ञानग्रंथ तत्व चिंतकों, विचारकों तथा सच्चे जिज्ञासुओं के लिए अत्यंत उपयोगी रहेगा। भाषा सादी और एकदम सरल होने के कारण सामान्य जन को भी वह पूरापूरा फल दे सकेगी। सुज्ञ पाठक गहराई से इस महान ग्रंथ का चिंतनमनन करेंगे तो अवश्य समकित प्राप्त करेंगे। उसके लिए सर्व शासन रक्षक देवी देवता सहायक हों, यही प्रार्थना। - डॉ. नीरूबहन अमीन के जय सच्चिदानंद

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