Book Title: Appa so Parmappa
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 13
________________ क्या कहाँट * * ७७ ; i ११८ १३३ १४६ १६८ अप्पा सो परमप्पा आत्मा का अस्तित्व आत्मा का यथार्थस्वरूप आत्मा को कहाँ और कैसे खोजें अपने को जानना : परमात्मा को जानना आत्मानुभव : परमात्म प्राप्ति का द्वार परमात्मा बनने का दायित्व : आत्मा पर परमात्मा बनने की योग्यता किस में ? आत्मार्थी ही परमात्मार्थी आत्मार्थी की दृष्टि : परमात्मभाव की सृष्टि परमात्मा कैसा है ? कैसा नहीं ? परमात्मा को कहाँ और कैसे देखें? १३. आत्मा और परमात्मा के बीच की दूरी कैसे मिटे ? आत्मा को परमात्मा से जोड़ती है उपासना आत्म-समर्पण से परमात्म सम्पत्ति की उपलब्धि परमात्मशरण से परमात्मभाव वरण आलम्बन : परमात्म-प्राप्ति में साधक या बाधक परमात्म भाव से भावित आत्मा : परमात्मा हृदय का सिंहासन : परमात्मा का आसन एकाकी आत्मा : बनती है परमात्मा १६० m २१२ २३१ ४ . २४७ २५६ २८२ ३०६ २३४ ३५२ ३७७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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