Book Title: Appa so Parmappa
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 12
________________ समाजरत्न श्रीमान् जेठमलजी सा. चौरडिया एक परिचय भारतीय संस्कृति का उद्घोष है कि जीवन वही श्रेष्ठ है जिसमें सत्य-स्नेह-सद्भावनाएँ-संयम-उदारता-सेवा आदि की सुगन्ध महक रही है । वही जीवन कमल सा श्रेष्ठ है । श्रीमान् जेठमलजी सा. चौरड़िया का जीवन भी इसी प्रकार सुवासित सुरभित है । श्रीमान् जेठमलजी सा. चौरडिया स्थानकवासी समाज के एक वरिष्ठ मेधावी उदार उद्योगपति हैं । आपकी प्रकृति बहुत ही मधुर है। आप एक सूलझे हुए चिन्तक हैं । सामाजिक और धामिक कार्यों में आपकी रुचि प्रशंसनीय है । भौतिकवाद के युग में भी आपके जीवन के कण-कण में धर्म के प्रति गहन आस्था रमी है। साथ ही आपकी साहित्य रुचि भी बहत ही प्रशंसनीय है। आप श्रेष्ठतम साहित्य के प्रकाशन में अपना सतत् सहयोग प्रदान करते रहे हैं । साथ ही सामाजिक कार्यों में भी आपकी रुचि बहुत ही प्रशंसनीय है। समाज के सभी वर्गों व सभी क्षेत्रों में आपकी सहयोग मंदाकिनी प्रवाहित रही है । आप राजस्थान में चान्दावतों को नोखा के निवासी रहे हैं । वह पवित्र भूमि है जहाँ पर स्वर्गीय मंत्री पण्डित प्रवर स्वामीजी श्री हजारीमल जी म. का स्वर्गवास हआ। स्वर्गीय युवाचार्य प्रवर श्री मधुकर मुनिजी म. के वर्षावास हुए । तथा समय-समय पर अनेक दीक्षाएँ भी हुईं। आपका व्यवसाय कर्नाटक की राजधानी बैंगलौर में महावीर ड्रग हाउस के नाम से प्रसिद्ध है । तथा मद्रास में भी आपके व्यवसाय के केन्द्र हैं । दक्षिण भारत के एक लब्ध प्रतिष्ठित परिवार के रूप में आपकी ख्याति रही है। परम श्रद्धय उपाध्याय श्री पुष्कर मुनिजी म. और उपाचार्य श्री देवेन्द्रमुनिजी म. के प्रति आपके मन में अपार आस्था है । उस आस्था का यह परिणाम है कि अप्पा सो परमप्पा जैसे आध्यात्मिक ग्रन्थ को प्रकाशित करने में आपने अपनी हार्दिक रुचि व्यक्त की । आपकी अपूर्व उदारता के फलस्वरूप यह ग्रन्थ रत्न शीघ्र प्रकाशित हो सका। हम आपके पूर्ण आभारी हैं । हमें पूर्ण विश्वास है कि इसी प्रकार आपका हार्दिक सहयोग सदैव मिलता रहेगा जिससे हम उत्कृष्ट साहित्य प्रबुद्ध पाठकों के कर-कमलों में पहुँचा सकेंगे। चुन्नीलाल धर्मावत कोषाध्यक्ष श्री तारक गुरु जैन ग्रन्थालय, उदयपुर Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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