Book Title: Anusandhan 2012 07 SrNo 59
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
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२२
अनुसन्धान-५९
तासु उअरि लिद्धउ अवतारो, जनमिउ कुंअर कुलसिणगारो, संवत चौदअट्ठाणउं (१४९८) वरसे, मागसिर सुदि सत्तम दिवसे ॥१४॥ कीधा उच्छव अति अभिराम, दिद्धउ देवराज वर नाम, क्रमि क्रमि कुंअर वद्धइ वीर, हिअडइ धम्म तणी मति धीर ॥१५॥ पनरअट्ठोत्तरि(१५०८), उदयनन्दिसूरि, दिइ संयम बहु जङ्गपरा', गुरि नाम मनोहर, परतिअ सुन्दर, इन्द्रनन्दि मुनिराजवरा ॥१६॥ अप्पिअप सीस सुजस जगि लेवा, श्रीसोमजयसूरिपासि पढेवा, दिन दिन विद्या-विणय पयासइ, ग्रन्थ अच्छअच्छ अहनिसि अभ्यासइ ॥१७॥ प्रीछ्या आगम वेद पुराण, प्रीछ्या शास्त्र सकल बन्धाण, जाणइ अङ्ग इग्यार वखाणी, जाणइ जे परिपरि जिनवाणी ॥१८॥ जोइस जोग मर्म जगि जाणइं, विद्या चौद विशेषि वखाणइं, विगट० प्रगट ने वादीराय, सीस तणी परि सेवइ पाय ॥१९॥ पालइ चारित्र निरतीचारा पञ्च समिति त्रिणि गुपति विचारा दसविध चारित्र हीअडइ राखइ, दोष बयालीस चिन्ति न चाखइ ॥२०॥ मुनि दिन-दिन वद्धइ, सञ्जम लद्धइ, सीलि सुजस भरइ ए, पूरव रिषि सारा, जम्बूकुमारा, तसु आचारा सिरि धरइ ए ॥२१॥ वाणि सुधारस सरस मतुल्ली११, मूरति पेखी मोहणवल्ली, अवसरि सीख सुमति जस अप्पइ, गुणवंता गुरु गणिपद थप्पड़ ॥२२॥ संवत पन्नरत्रीसा (१५३०) वरसे, पुञ्जराज वित्त वेचइ हरिसे, श्रीसोमजयसूरि सइं१२ हत्थिकरणं, सिद्धपुरि पण्डितपद ठवणं ॥२३॥ अहमदावादि वसइ साणन्दो, सोनी अम्बपता हरिचन्दो, मेली सङ्घ पनरइकतालइ (१५४१), ईडरगढि जिन आदि निहालइ ॥२४॥ विगतिइं देव युगादि जुहारी, अनुक्रमि तीरथनयर मझारी, भेटिआ सहिगुरु गुणमणिआगर, गछनायक सिरिलखिमीसागर ॥२५॥ ईडर अहिठांण, भूपति भांण, बहु बहुमांण दिद्धवर, हरिचङ्ग सुरङ्ग, मेलिअ सङ्घ, मण्डइ जङ्गमोयक्षर१३ ॥२६॥ सङ्घ सकल नवि लहीइ पारो, मोटा मागण सहस बिच्च्यारो, गणधर गणनायक गुणवन्तो, मिल्या साधु सुणीआ सइ सत्वो ॥२७॥

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