Book Title: Anusandhan 2012 07 SrNo 59
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 79
________________ ७२ अनुसन्धान- ५९ पउमचरियं : एक सर्वेक्षण (रामकथा का प्राचीन एवं उत्कृष्ट जैनग्रन्थ) प्रो. सागरमल जैन रामकथा की व्यापकता राम और कृष्ण भारतीय संस्कृति के प्राण - पुरुष रहे हैं । उनके जीवन, आदर्शो एवं उपदेशो ने भारतीय संस्कृति को पर्याप्त रूप से प्रभावित किया है। भारत एवं भारत के पूर्वी निकटवर्ती देशो में आज भी राम कथा के मंचन की परम्परा जीवित है । हिन्दू, जैन और बौद्ध धर्म परम्परा में रामकथा सम्बन्धी प्रचुर उल्लेख पाये जाते है । राम - कथा सम्बन्धी ग्रन्थों में वाल्मीकि रामायण प्राचीनतम ग्रन्थ है । यह ग्रन्थ हिन्दू परम्परा में प्रचलित राम-कथा का आधार ग्रन्थ है । इसके अतिरिक्त संस्कृत में रचित पद्मपुराण और हिन्दी में रचित रामचरितमानस भी राम - कथा सम्बन्धी प्रधान ग्रन्थ है, जिन्होंने हिन्दू जन-जीवन को प्रभावित किया है । जैन परम्परा में रामकथा सम्बन्धी ग्रन्थों में प्राकृत भाषा में रचित विमलसूरि का 'पउमचरियं' एक प्राचीनतम प्रमुख ग्रन्थ है । लेखकीय प्रशस्ति के अनुसार यह ई. सन् की प्रथम शती की रचना है । वाल्मीकि की रामायण के पश्चात् रामकथा सम्बन्धी ग्रन्थों में यही प्राचीनतम ग्रन्थ है । संस्कृत, प्राकृत, अपभ्रंश एवं हिन्दी में रचित रामकथा सम्बन्धी ग्रन्थ इसके परवर्ती ही है । यहाँ यह ज्ञातव्य है कि प्राकृत, संस्कृत, अपभ्रंश, कन्नड़ एवं हिन्दी में जैनों का रामकथा सम्बन्धी साहित्य विपुल मात्रा में है, जिसकी चर्चा हम आगे विस्तार से करेंगे । बौद्ध परम्परा में रामकथा मुख्यतः जातक कथाओं में वर्णित है । जातक कथाएँ मुख्यतः बोधिसत्त्व के रूप में बुद्ध के पूर्वभवों की चर्चा करती है । इन्हीं में दशरथ जातक में रामकथा का उल्लेख है । बौद्ध परम्परा में रामकथा सम्बन्धी कौन-कौन से प्रमुख ग्रन्थ लिखे गये इसकी जानकारी का अभाव ही है । रामकथा सम्बन्धी जैन साहित्य : I जैन साहित्यकारों ने विपुल मात्रा में रामकथा सम्बन्धी ग्रन्थों की रचना जून

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