Book Title: Anusandhan 2012 07 SrNo 59
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

View full book text
Previous | Next

Page 91
________________ अनुसन्धान-५९ में दिये गये है उनका जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति और तिलोयपण्णत्ति दोनों से ही कुछ अन्तर है। (६) पउमचरियं के १४वें अधिकार की गाथा ११५ में समाधिमरण को चार शिक्षाव्रतों के अन्तर्गत परिगणित किया गया है,१४ किन्तु श्वेताम्बर आगम उपासकदशा में समाधिमरण का उल्लेख शिक्षाव्रतों के रूप में नहीं हुआ है । जबकि दिगम्बर परम्परा के कुन्दकुन्द आदि कुछ आचार्य समाधिमरण को १२वें शिक्षाव्रत के रूप में अङ्गीकृत करते हैं ।१५ अतः पउमचरियं दिगम्बर परम्परा से सम्बन्ध होना चाहिए । इस सन्दर्भ में मेरी मान्यता यह है कि गुणव्रतों एवं शिक्षाव्रतों में एकरूपता का अभाव पाया जाता है ।१६ दिगम्बर परम्परा में तत्त्वार्थ का अनुसरण करने वाले दिगम्बर आचार्य भी समाधिमरण को शिक्षाव्रतों में परिग्रहीत नहीं करते हैं । जबकि कुन्दकुन्द ने उसे शिक्षाव्रतों में परिग्रहीत किया है । जब दिगम्बर परम्परा ही १४. जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति, यक्षस्कार २ । १५. पंच य अणुव्वयाइं तिण्णेव गुणव्वयाइं भणियाइं । सिक्खावयाणि एत्तो चत्तारि जिणोवइट्ठाणि । थूलयरं पाणिवहं मूसावायं अदत्तदाणं च । परजुवईण निवित्ती संतोसदयं च पंचमयं ।। दिसिविदिसाण य नियमो अणत्थदंडस्स वज्जणं चेव । उवभोगपरीमाणं तिण्णेव गुणव्वया एए ॥ सामाइयं च उववास-पोसहो अतिहिसंविभागो य । अंते समाहिमरणं सिक्खासुवयाइ चत्तारि ॥ - पउमचरियं १४/११२-११५ १६. पंचेवणुव्वयाइं गुणव्वयाइं हवंति तह तिण्णि । सिक्खावय चत्तारि य संजमचरणं च सायारं ॥ थूले तसकायवहे थूले मोसे अदत्तथूले य । परिहारो परमहिला परिग्गहारंभ परिमाणं ॥ दिसविदिसमाणपढमं अणत्थदण्डस्य वज्जणं विदियं । भोगोपभोगपरिमाण इयमेव गुणव्वया तिण्णि ॥ सामाइयं च पढमं बिदियं च तहेव पोसहं भणियं । तइयं च अतिहिपुज्जं चउत्थ सल्लेहणा अंते ॥ – चारित्तपाहुड २२-२६ ज्ञातव्य है कि जटासिंह नन्दी ने भी वराडगचरित सर्ग २२ में विमलसूरि का अनुसरण किया है।

Loading...

Page Navigation
1 ... 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161