________________ 154 अनुसन्धान-५९ आवरण चित्र-परिचय आवरण - 1 एक प्राचीन हस्तचित्र, जेमां तीर्थकर भगवान कायोत्सर्ग मुद्रामां ऊभा छे, अने बे बाजु बे देव-उपासको तेमनी उपासनार्थे ऊभा जणाय छे. आवरण - 2 श्रीहेमचन्द्राचार्यनो जीवनकाल वि.सं. 1145 थी १२२९नो छे. ते पछी थोडांक ज वर्षों बाद सं. १२५७मां तेमनी प्रतिमा बनी, जे पहेला महेसाणाना जैन देरासरमा हती, अने अत्यारे धंधुकाना जिनालयमां छे. आवरण पृष्ठ 4 उपर तेनी तसवीर आपेल छे. जो के आ प्रतिमानी छबी पूर्वे अनेक वार प्रकाशित थई गई छे. परंतु अहीं पुनः प्रगट करवानुं कारण तेनो प्रतिमालेख छे. ए प्रतिमानी पलांठी-पाटली पर वंचातो लेख आ प्रमाणे छ : "सं 57 आषाढ शु 9 गुरौ पूज्य श्रीहेमचन्द्रसूरीणां मूर्तिः // आगमगच्छे॥ सं. 1257 वर्षे // " आ लेखना अक्षरो अत्रे आपेल प्रथम चित्र पर जोवा मळे छे, पण बीजा चित्रमा ते जोवामां आवता नथी. केम के तेना पर लाल रंगनो पट्टो करी देवामां आव्यो छे. एवं बने के रोजेरोजनी पूजापद्धतिने कारणे लेख साव नष्ट थयो होय, तेथी तेने ढांकी देवा माटे आम करवामां आव्युं होय. ___ आवी प्रतिमा तथा तेना आवा लेख ते आपणो ऐतिहासिक वारसो छे. तेनो नाश थवो ते आपणने - इतिहासने बहु बहु हानिकर्ता बाबत छे. परंतु आ वात आपणा समाजने क्यारे समजाशे ? ए सवाल अनुत्तर ज रहेवानो छे. अस्तु. -x