Book Title: Anusandhan 2012 07 SrNo 59
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
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१०४
अनुसन्धान-५९
गणनाभेदनुं निमित्त बन्यो, ओम मानवाने बदले, वीरनिर्वाणनी बाबतमां १३ वर्षनो तफावत विक्रमसंवत्नी उत्पत्तिनी मान्यतामां फेरफारनुं कारण बन्यो ओम मानवुं वधु युक्तिसङ्गत लागे छे. जो के आ बाबतमां सत्य शुं छे ते तो विद्वानो ज जणावी शके.
१. वी.नि.सं.जै. का.
२.
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आर्य भद्रगुप्त (४१) ४९५-५३५ आर्य वज्र (३६) ५३६-५७१ आर्य आर्यरक्षित (१३) ५७२-५८४
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टिप्पणी
पृ. ६१ अने पृ. १३५, टि. ८८
माथुरी गणना
वीरनि. सं.
३.
वी.नि.सं.जै.का. पृ. ५५-६०
४. मौर्यवंशनां १६० ने बदले १०८ वर्ष गणवामां ५२ वर्षनो विपर्यास थयो छे अवुं मुनिश्रीनुं कथन छे.
५.
वी.नि.सं.जै.का. टि. ४३, १०८
६. वी.नि.सं.जै.का. पृ. १४५, छेल्लो परिच्छेद
७. विसङ्गतिओ माटे जुओ
८.
वालभी गणना
वीरनि. सं.
आर्य भद्रगुप्त (३९)
४९५-५३३
आर्य श्रीगुप्त (१५)
५३४-५४८
आर्य वज्र (३६)
५४९-५८४
आर्य आर्यरक्षित (१३) ५८५-५९७
अनुसन्धान ५८, 'निह्वव रोहगुप्त...' लेख
वी.नि.सं.जै.का. टि. १०२
९. जो के मुनिश्री वी.नि.सं. जै. का. पृ. ६० पर विक्रमना राज्यारम्भथी १३मा वर्षे विक्रम संवत्नी उत्पत्ति स्वीकारवा छतां एनो आरम्भ वीरनि. सं. ४७०मां देखाडनारी नीचेनी गाथा आपीछे
“विक्कमरज्जाणंतर, तेरसवासेसु वच्छरपवित्ती ।
सुन्नमुणिवेय (४७०) जुत्तो, विक्कमकालाउ जिणकालो
"
परन्तु तेओओ आ गाथानो स्थाननिर्देश कर्यो नथी. तेथी लागे छे के आ गाथा तेओओ पोताना मन्तव्यनी पुष्टि माटे नीचेनी बे गाथाओनी पङ्क्तिओने जोडीने बनावी होवी जोईए :

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