Book Title: Anusandhan 2012 07 SrNo 59
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 85
________________ ७८ अनुसन्धान-५९ में रामकथा को प्रस्तुत किया है । त्रिषष्टिशलाकापुरूषचरित्र में वर्णित रामकथा का स्वतन्त्र रूप से भी प्रकाशन हो चुका है । हेमचन्द्र सामान्यतया तो विमलसूरि की रामकथाका ही अनुसरण करतें हैं, किन्तु उन्होंने सीता का वनवास का कारण, सीता के द्वारा रावण का चित्र बनाना बताया है । यद्यपि उन्होंने इस प्रसंग के सिवा शेष सारे कथानक में पउमचरियं का ही अनुसरण किया है, फिर भी सौतियाडाह के कारण राम की अन्य पत्नियों ने सीता से रावण का चित्र बनवाकर, उसके सम्बन्ध में लोकापवाद प्रसारित किया, ऐसा मनोवैज्ञानिक आधार पर प्रस्तुत कर दिया है । इस प्रसंग में हेमचन्द्र, भद्रेश्वरसूरि की कहावली का अनुसरण करते है और इस प्रसंग में धोबी के लोकापवाद को छोड़ देते है । चौदहवीं शताब्दी में धनेश्वर ने शत्रुञ्जयमाहात्म्य में भी रामकथा का विवरण दिया है । यद्यपि इन ग्रन्थों की अनुपलब्धता के कारण इनका विमलसूरि से कितना साम्य और वैषम्य है, यह बता पाना मेरे लिए सम्भव नहीं है । पउमचरियं की भाषा एवं छन्द योजना : सामान्यतया 'पउमचरियं' प्राकृत भाषा में रचित काव्य ग्रन्थ है, फिर भी इसकी प्राकृत मागधी,अर्धमागधी, शौरसेनी, पैशाची और महाराष्ट्री प्राकृतों में कौन सी प्राकृत है, यह एक विचारणीय प्रश्न है । यह तो स्पष्ट है कि इसका वर्तमान संस्करण मागधी, अर्धमागधी और शौरसेनी प्राकृत की अपेक्षा महाराष्ट्री प्राकृत से अधिक नैकट्य रखता है, फिर भी इसे परवर्ती महाराष्ट्री प्राकृत से अलग रखना होगा । इस सम्बन्ध में प्रो. व्ही.एम.कुलकर्णी ने पउमचरियं की अपनी अंग्रेजी प्रस्तावना में अतिविस्तार से एवं प्रमाणो सहित चर्चा की है । उसका सार इतना ही है कि पउमचरियं की भाषा परवर्ती महाराष्ट्री प्राकृत न होकर प्राचीन महाराष्ट्री प्राकृत है । वह सामान्य महाराष्ट्री प्राकृत का अनुसरण न करके जैन महाराष्ट्री प्राकृत का अनुसरण करती है, अतः उसका नैकट्य आगमिक अर्धमागधी से भी देखा जाता है । वे लिखते है कि “Paumachariya, which represents an archaic form of jain maharastri'' पउमचरियं की भाषा की प्राचीनता इससे भी स्पष्ट हो जाती है कि उसमें प्रायः गाथा (आर्या) छन्द की प्रमुखता है, जो एक प्राचीन और

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