Book Title: Anusandhan 2009 07 SrNo 48 Author(s): Shilchandrasuri Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad View full book textPage 6
________________ जैन-सम्बद्ध तत्त्वो माटे ज शा माटे ? तेओ तो जगद्गुरु शङ्कराचार्यने माटे पण 'शङ्कर" एवो तुच्छतासूचक प्रयोग ज करता होय छे. आनां मूळ तपासतां एम लागे छे के अंग्रेज अने जर्मन विद्वानोए जे संशोधनो कर्यां, ते तेमनी भाषाओमां कर्यां. हवे तेमने माटे भारतवर्षना आचार्यो के जिन / बुद्ध जेवी विभूतिओ ते कोई सामान्य विद्वान्थी विशेष न हता. तेथी तेमणे तेमना विषे ज्यां पण उल्लेख कर्यो त्यां तुच्छतावाचक एकवचन वडे ज कर्यो. आम पण, अंग्रेजी भाषामां एक थी वधु व्यक्तिओ माटे ज बहुवचन प्रयोजाय छे. एक व्यक्ति होय तो एकवचन ज प्रयोजातुं होय छे. जेमके "He Speaks; Mahavira said; Hemchandra was a great Scholar" वगेरे. हवे आनो गुजराती अनुवाद (तरजूमो नहीं), संस्कारी अने आपणा देशनी शिष्टमान्य तथा सभ्य एवी परम्परामां उछरेल के परम्पराने जाणनार व्यक्ति / विद्वान, आ प्रमाणे करी शके : "तेओ कहे छे; महावीर कहेता हता; हेमचन्द्र ते मोटा विद्वान हता. " परन्तु जे लोको कोरी अंग्रेजीयतने ज महत्त्व आपे छे, अने आपणी संस्कृतिनां शिष्ट धोरण प्रत्ये जेमने झाझो आदर नथी, तेवा लोको आम लखशे : "ते कहे छे; महावीर कहेतो हतो; हेमचन्द्र मोटो विद्वान हतो. ' आ बन्ने प्रकारना अर्थ वांचीए तो अनुवाद अने तरजूमा वच्चेनो तफावत पण तुरत समजा. 11 'अने आ विद्वानो क्यारे पण 'हरमान जेकोबी आम कहेतो हतो', 'सुखलाल आवुं मानतो हतो' - एवा प्रयोगो भूलमां पण नहि करे, ए वात पण ध्यानपात्र छे, परम्परा एटलुं ज पूछे छे के धर्मक्षेत्रे अग्रणी गणाता पुरुषो माटे तुच्छकार, अने संशोधनक्षेत्रना लोको माटे आदर - आवो भेद शा माटे ? आनुं कारण शुं ? पाश्चात्य विद्वानो आधुनिक शोध - विद्याना प्रवर्तक छे, ए वात स्वीकारी लीधा पछी पण, एमनी भाषागत मर्यादाओने गुजराती के हिन्दी भाषामां खेंचीताणी लाववानी शी जरूर ? एमनी तोछडाईनो अनुवाद आपणी भाषामां न करीए तो संशोधनक्षेत्रनुं कांई ज बगडी के अटकी तो नथी जतुं ! Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
1 ... 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 ... 90