Book Title: Anusandhan 2009 07 SrNo 48
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 4
________________ निवेदन संशोधन अने परम्परा ए बन्ने वच्चे हमेशां गजग्राह ज होय छे, एवं नथी. घणीवार आ बे वच्चे सामंजस्य पण ओछु नथी होतुं. क्यारेक तो, बन्ने तत्त्वो पोतपोतानी दिशामां अने वातमां अडोल रहीने पण परस्पर सामंजस्य अने सौमनस्य जाळवतां जोवा मळयां छे, मळे छे. ज्यां सुधी आ बन्नेना सम्बन्ध पर कट्टरतानो ओछायो न पडे, अने सहज औदार्य प्रसरतुं रहेतुं होय, त्यां सुधी तो आ स्थिति अनुभववा अचूक मळवानी. आ समजणने पुष्ट करे तेवो एक प्रसंग ताजेतरमां ज बन्यो. एक कट्टरपंथी पण अभ्यासी अने ते ज कारणे सुज्ञ एवा, उमरलायक मुनिराजे मने का : ढांकीए तो नवकार माटे केQ लख्युं छे ! बे ज पद हतां वगेरे. आवं ते केम मनाय ? में तेमने समजाव्या : ढांकी अने तेमना जेवा विद्वानोने नवकारनां पांच, नव पदो तमे मानो तेनो विरोध नथी होतो. तेमने तो पुरातात्त्विक प्रमाणो द्वारा सांपडतां तथ्योने उजागर करवामां ज रस पडे छे. अने तेवां साक्ष्यो थकी जे तथ्य सांपडे, तेने समाज समक्ष मूकीने, समाजमां, आ पदोने कारणे चालती भ्रान्तिओ तथा विवादो केटली हदे साचा के योग्य गणाय, ते तरफ अङ्गुलिनिर्देश करवामां ज तेओनुं कर्तव्य समाप्त थतुं होय छे. "जुओ, महामेघवाहन सम्राट् खारवेल जैन राजवी हतो. तेणे सर्वप्रथम जैन साधुसंघनी संगीति योजी हती. तेनो शिलालेख खण्डगिरि-उदयगिरिनी गुफामां उपलब्ध छे. तेमां बे ज पदो आलेखायां छे : 'नमो अरहंतानं, नमो सवसिधानं; हवे आ विद्वानो एम पूछे अथवा विचारे के गुफामां पांच पद लखवा जेटली जग्या तो होय ज, तो बेज पद केम लख्यां हशे? बीजो आवोज गुफालेख महाराष्ट्रमां पाळेनी गुफामां उपलब्ध छे. त्यां तो वळी 'नमो अरहंतानं' एम एक ज पद छे, तो तेनुं शुं समजवू ? "वळी, घणुं करीने 'आवश्यकचूर्णि'मां क्यांक ३ ज पदो निर्देशायां छे : "नमो अरहंताणं, नमो सव्वसिद्धाणं, नमो सव्वसाहूणं" तो 'सव्वसाहूणं" मां ज 'आयरियाणं' तथा 'उवज्झायाणं' नो समावेश 'सव्व' शब्द वडे करवामां Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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