Book Title: Anekant 1995 Book 48 Ank 01 to 04
Author(s): Padmachandra Shastri
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 9
________________ अनेकान्त/४ मूलाचार (संपादक पं० मनोहरलाल जी, संवत् १९७६) १. "तेलोक्कपुज्जणीए अरहंते बंदिऊण तिविहेण" (४/१२२) २. "तिरदणपुरूगुण सहिदे अरहंते विदिद सयल सब्भावे" (६/४२०) ३. “वंदित्ता अरहंते सीलगुणे कित्तइस्सामि” । (११/१०१६) ४. “काऊण णमोक्कारं अरहंताणं तहेब सिद्धाण'' (७/५०२) ५. "रजहंता अरिहंति य अरहंता तेण उच्चचंदे" (७/५०५) ६. “अरहंत णमोक्कारं भावेण य जो करेदि पयदमदी" (७/५०८) ७. "अरिहंति सिद्धिगमणं अरहंता तेण उच्चति' (७/५६२) २ भगवती आराधना वंदित्ता अरहंते वोच्छं" १.१.१ अरहंत सिद्ध चेइय सुदेय. १.१.४५ ३. कसायपाहुड भाग १ "णियमेण अरहंत णमोक्कारो कायव्वो १ पृष्ठ १ पक्ति७-८ "कीरउ अण्णत्थ सव्वत्थ णियमेण अरहंत णमोक्कारो । सव्वण्हु वीयराय-अरहंत जिणादि सण्णाओ ।' पृ. ३१ पं. ३-४ । ४. महाबंध १ "अरहंत दिवायरो जयऊ । गाथा २ पृष्ठ २ ५. प्रवचनसार "अरहंताणंकाले मायाचारोव्व इत्थीण । गाथा ४४ “पुण्णफला अरहंता । गाथा ४५ ६. तिलोयपण्णत्ति "अरहंताणं सिद्धाणं---'' | गाथा १९ ७. धवल १ "अतिशय पूजार्हत्वाद्वार्हन्ता । गाथा पृष्ठ ४४ "अरहंता" अरहंताणं । गाथा टिप्पणी पृष्ठ ४४ ८. भगवती सूत्र “णमो अरहंताणं, णमोसिद्धाणं.. "पंचमअंग, प्रथम खड शतक १ पृ०३ पं. २४ टीका पूयसक्कारं सिद्धिगमणं च अरहा अरहंता तेण वुच्चंति ।" ९. भक्ति संग्रह . ___"अरहंते कित्तिस्से --'' गाथा २ १०. अभिधान राजेन्द्र कोश ( पृष्ठ ७५५ ) “अरहंत-अर्हन्ति देवादिकृता पूजामित्यर्हन्त ।" ११. प्राकृतचन्द्रिका “के तृतीय प्रकाश के ५३ वें श्लोक मे भी हेमचन्द पोषित उक्त तीनो पदों के शुद्धत्व की पुष्टि की गई है । यथाहि - अर्ह-अरहो, अरिहो, अरुहो ।"

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