Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 14
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 12
________________ मानन्दित्रम् . अजजीय(व)धरं // 28 // तिसमुद्द-खायकित्तिं दीसमुद्देसु गहियपेयालं / वन्दे अजसमुद्द१६ अक्खुभिय समुद्दगंभीरं // 21 // भणगं करगं झरगं पभावगं नाणदंसणगुणाणं / वदामि अजमगुं१७ सुयसागर-पारगंधी।३०॥ वंदामि अजधम्मं तत्तो वन्दे य भद्दगुत्तं च / तत्तोय अजवइ(वे)रं 20 तवनियमगुणेहिं वइरसमं // 31 // वंदामि अजरविखयं खमणे 21 रविखयचरित्तस-वस्से / रयणकरडंगभूयो अणुयोगो रक्खियो जेहिं // 32 // नागमि दंसणंमि अ तवविणए निचकालमुज्जुत्तं / अज्ज नन्दिलखमणं सिरसा वंदे पमन्नमणं // 33 // वड्डउ वायगवंमो जसवंसो अजनागहत्यीणं / वागरणकरणभंगिय-कम्मपयडी-पहाणाणं // 34 // जच्चनण-धाउसमप्पहाणं मुद्दियकुवलयनिहाणं / वडउ वायगवंसो रेवइनक्खत्त-नामाणं 24 // 35 // अयलपु. राणिक्खते कालिय-स्यवाणुयोगिए धीरे। बंभद्दीविन-सीहे वायग-पयमुत्तमं पत्ते // 36 // जेसिं इमो अणुयोगो, पयरइ अजवि अड्डभरहम्मि / बहुणयरनिग्ग जसे तं वंदे खंदिलायरिए // 37 // तत्तो हिमवंत महंत-विकमे धिइपरकममण (ह)ते / सज्झायमणंतधरे हिमवंते 27 वंदिमो सिरसा // 3 // कालियसुय-अणुयोगस्स धारए धारए य पुव्वाणं / हिमवंत-खमासमणे वन्दे नागज्जुणायरिए // 31 // मिउमद्दव संपन्ने अणुपुलिं वागत्तणं पत्ते / श्रोहसुयसमाय(या)रे नागज्जुणवायए 28 वन्दे॥ 40 // गोविंदाणंपि नमो अणुयोगो विउल-धारिणिंदाणं / निव्वं खंति-दयाणं परूवणे दुलभिंदाणं // 41 // तत्तो य भूयदिन्नं निच्चं तवसंजमे अनिविणं / पंडियजणऽमामणं वदामि संजमं विहराणु // 42 // वरवणग-तविय(तवियवरकणग)चंग-विमउलवरकमल-गब्भसरिवन्ने / भविग्रजण-हिययदइए दयागुण-विसारए धीरे // 43 // अडभरहप्पहाणे बहुविह-सज्झाय-सुमुणियपहाणे / अणुयोगिय-वरवसभे नाइलकुल-वंसनंदिकरे // 44 // भूअहिश्रय. पगम्भे (जगभूयहिय-पगम्भे) वंदेऽहं भूयदिनमायरिए 21 / भवभय बुच्छेयकरे

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