Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 08 Author(s): Jinendravijay Gani Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala View full book textPage 7
________________ प्रकाशकीय निवेदन अमारी ग्रन्थमाला तरफथी आ श्रीआगमसुधासिन्धु आठमो विभाग प्रगट करता आनंद अनुभवीए छीए-हालमा 45 आगम मूल अने केटलाक आगम टीका सहित प्रगट करवानु काम शरू करता आ ग्रन्थ नागरी लिपिमा मोटा टाइपमा प्रगट करेल छे. आ ग्रन्थनु संशोधन संपादन हालारदेशोद्धारक कविरत्न स्व. पू० आचार्यदेव श्रीमद्:.' विजयअमृतसूरीश्वरजी महाराजना शिष्यरत्न पू पंन्यास श्री जिनेन्द्रविजयजी गणिवरे घणी खंत थी करेल छे. कागळ छपाइ आदिना भाव वधवाने कारणे खर्च धार्या करतां वधु आवे छे, मोटा टाइपमा मुद्रित कराता पेज वधारे थाय छे. परंतु टकवानी अने अभ्यासनी दृष्टिए अनुकुलता रहेशे. आगम सूत्रोना अधिकारी योगवाही गुरुकुलवासी सुविहित मुनिओ छे. ए शास्त्रविधि मुजब पूज्य श्रमणसंघमा आगम वाचनादिमां अनुकुलता थाय ते रूप आ श्रुतभक्ति करता अमे आनंद अनुभवीए छीए. 45 मूल आगम 14 विभागमा प्रगट थशे. सटीक आगमोमां श्रीमदन्तकृद्दशा, श्रीमन्दतरोपपातिकदशा अने श्रीमदुपासकदशा सूत्र तैयार थइ गयो छे. मुद्रण माटे श्री गौतम आर्ट प्रिन्टर्सना व्यवस्थापको सारी खंत राखी छे ते माटे तेमनो आभार मानी छीओ. बीर संवत् 2501 वि० स० 2031 अषाढ सुब 6 सोमवार ता.१४-७-७५ लि:नेमचंद वाघजी गुढका नवीनचंद्र बाबुलाल शाहPage Navigation
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