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भिज्ञा
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से होकर भी भिक्षा के लिये न जाये । पर दूसरा मार्ग लम्बा हो तो भी उमी से जावे ! [२७, ३१]
भिक्षा मांगने किस प्रकार जावे ? भिक्षु भिक्षा मांगने जाते समय अपने वस्त्र, पात्र, रजोहरण श्रादि सर्व साधन (धर्मोपकरण) साथ में ले जाये। यही नियम स्वा-याय करने जाते समय, मलमूत्र करने जाते समय या दूसरे गाव जाते समय के लिये भी है । परन्तु जब दूर तक पानी बरसता जान पडे या दूर तक कुहरा गिरता दिखे या जोरकी आंधी के कारण धूल उडनी हो या अनेक जीव-जन्तु इधर-उधर टठते दिखें तो सब साधन माथ में लेकर भिक्षा मांगने या स्वाध्याय करने को न निकले। [१६-२०]
भिक्षा मांगने किस प्रकार न जाये ? - भिक्षु भिता मांगने किसी अन्य सम्प्रदाय के मनुष्य के साथ, गृहस्थ के साथ या अपने ही धर्म के कुशील माबु के साथ न जावे आचे और उनको आहार न दे और न दिलाये । यही नियम स्वाध्याय, शौच और गांव जाने के लिये भी है । [ ४-५]
भिनु भिक्षा मांगने जाते समय गृहस्थ के घरका डाल-झाकडो से बन्द दरवाजा उसकी अनुमति के बिना, जीवजन्तु देखे बिना खोल कर अन्दर न जावे। उसकी अनुमति लेकर और देखभाल कर ही भीतर जाना और बाहर आना चाहिये । [२८]
भिचु भिक्षा मांगने जाते समय गृहस्थ के घर श्रमण, ब्राह्मण आदि याचको को अपने से पहिले ही भीतर देख कर उनको लाघ कर भीतर न जावे परन्तु किसी का पानाजाना न हो ऐमी अलग
शौचार उनको शासन ही धर्म