Book Title: Agam 01 Ang 01 Acharang Sutra
Author(s): Gopaldas Jivabhai Patel
Publisher: Gopaldas Jivabhai Patel

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Page 125
________________ - - मलमूत्र का स्थान rhan Arr . . जिस स्थान पर गृहस्थ श्रादिने मूंग, उड़द, तिल्ली, कुलथी, जो आदि बोये हो, वहाँ भिनु मल-मत्र का त्याग न करे। जही मनुष्यो के लिये भोजन बनता हो, या भैंस, पाड़े घोदे, क्बूतर आदि पशुपक्षी रखे जाते हो वहाँ भितु मलमुत्र का त्याग न बरे। जिस स्थान पर मनुष्य क्सिी इच्छा से फासी लेते हों खुद को गीदडो से नुचवाते हो, पेड़ या पर्वत से गिरकर मरते हो, विष खाते हो, अग्निप्रवेश करते हो, वहाँ भिक्षु मलमूत्र का त्याग न करे । भिनु पाराम, उद्यान, वन, उपवन, देवमंदिर, सभागृह या प्याऊ आदि स्थानो पर मलमूत्र का त्याग न करे । भिक्षु किले के बुर्ज, किजे या नगर के मार्ग, दरवाजे और गोपुर आदि स्थानों पर मलमत्र का त्याग न करे । जहाँ तीन या चार रास्ते मिलते हो, वहाँ भिन्नु मलमूत्र का त्याग न करे। निवाडा, चूने की भट्टी, श्मशान, स्तूप, देवमंदिर, नदी पर के तीर्य नदी किनारे के स्थान, तालाब के पवित्र स्थान, पानी-नाली, मिट्टी की नई खान, नया गोचर, खान या शाक पत्र, फूल, फल श्रादि के स्थान में भिक्षु मलमूत्र का त्याग न करे। [१६६] भिक्षु अपना या दूसरे का पात्र लेकर, खुले बाडे में या स्थानक में एकान्त जगह पर, कोई देख न सके और जीवजन्तु से रहित स्थान पर जावे, वहां मलमूत्र करके, उस पात्र को लेकर खुले बाडे मे या जली हुई जमीन पर या ऐसी ही कोई निर्जीव जगह पर एकान्त में कोई देखे नहीं, वहां उसको सावधानी से ढाल श्रावे । [१६३] भिक्षु या भिक्षुणी के प्राचार की यही सापूर्णता है... ..आदि भाषा अध्ययन के अन्त-पृष्ट १०४ के अनुसार ।

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