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ग्यारहवाँ अध्ययन --(०)
शब्द
CRS भिन्नु या भिघुणी चारी प्रकार (१. मरे हुए वाद्य-मृदंग श्रादि, २. तंतु वाद्य-नार आदि से खिंचे हुए बीणा आदि, ३. ताल वाद्य-माझ प्रादि, ४ शुपिरवाय-फंक से बनने वाले, शंख आदि) के वाद्यो के शब्द सुनने की इच्छा से कहीं न जावे । [१६]
भिन्नु या भिक्षुणी अनेक स्थानो पर होने वाले विविध प्रकार के शब्द सुनने कहीं न जावे ।
भिक्षु पाड़े, बैल, हाथी या कपिजल पक्षी की लड़ाई के शब्द सुनकर वहाँ न जावे। वर कन्या के लग्नमंडप या कथा मंडप में भी न जाये इसी प्रकार हाथी घोड़े श्रादि की वाजीम या जहा नाचगान की धूम मची हो, वहाँ भिन्नु न जावे। [१६९]
जहाँ खींचतान मची हो, लहाई झगडे हो रहे हो या दो राज्यो के वीच झगड़ा हो, वहाँ न जावे।
लकड़ी को सजाकर, घोड़े पर बैठाकर उसके आसपास होकर लोग जा रहे हो या किसी पुरुष को मृत्युदंड देने को वधस्थान पर ले जा रहे हो तो वहाँ न जावे ।
जहा अनेक गाड़ियां, रथ अथवा ग्लेच्छ या सीमान्त लोगो के मुंड हो या मेले हो, वहाँ भी न जावे ।