Book Title: Agam 01 Ang 01 Acharang Sutra
Author(s): Gopaldas Jivabhai Patel
Publisher: Gopaldas Jivabhai Patel

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Page 132
________________ १२६] याचारांग सूट वाली, और गोद में रखने वाली। इन पांचो दाइयों से घिरे हुए, एक गोद मे से दूसरी की गोद में जाते रहने वाले भगवान्, पर्वत भी गुफा में रहे हुए चपक वृक्ष के समान अपने पिताके रम्य महल मे वृद्धि को प्राप्त होने लगे। वाल्यावस्था पूरी होने पर, सर्वकलाकुशाल भगवान् महावीर अनुत्सुकता से पांच प्रकार के उत्तम मानुपिक काम भोग भोगते हुए रहने लगे। भगवान् के नाम तीन थे-माता-पिता का रखा हुया नाम, 'वर्धमान', अपने वैराग्य आदि सहज गुणो से प्राप्त, 'श्रमण' और अनेक उपसर्ग परिपह सहन करने के कारण देवो का रखा हुआ नाम, 'श्रमण भगवान् महावीर ।' भगवान् के पिता के भी तीन नाम थे, सिद्धार्थ, श्रेयास, और जयस (यशस्वी) ? माता के भी त्रिशला, विदेहदिन्ना और प्रियकारिणी नीन नाम थे। भगवान के काका का नाम सुपार्श्व था। बड़े भाई का नाम नंदिवर्धन और बड़ी बहिन का नाम सुदर्शना था। भगवान् की पत्नी यशोदा कौटिल्य गोत्र की थी। उनकी पुत्री के दो नाम थे-अनवद्या और प्रियदर्शना । भगवान की दोहिती कौशिक गोत्र की थी, उसके भी दो नाम थे-शेपवती और यशोमती । [१७७] भगवान के माता पिता पार्श्वनाथ की परम्परा के श्रमणो के अनुयायी ( उपासक) थे। उन्होने बहुत वर्षों तक श्रमणोपासक के प्राचार पालकर अन्त में छ काय जीवो की रक्षा के लिये श्राहार पानी

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