Book Title: Agam 01 Ang 01 Acharang Sutra
Author(s): Gopaldas Jivabhai Patel
Publisher: Gopaldas Jivabhai Patel

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Page 123
________________ खडा रहने का स्थान १७ - - - दाटी. रोम और नाग्वून का भाग त्याग कर (परिमित काल तक) बिना हिले-चले खड़ा रहने का नियम ले । इन चार्ग मे से एक नियम लेने वाला दूसरे की अवहेलना न करे ग्रादि भिता श्रव्ययन के अन्त-पृष्ट ८३ के अनुसार । भिक्षु या भिक्षुणी के प्राचार की यह। सम्पूर्णता है . आदि भाषा अध्ययन के अन्त-पृष्ट १०४ के अनुसार । [१६] नौवाँ अध्ययन --(०)निशीथिका-स्वाध्याय का स्थान भिक्षु या भिक्षुणी को स्वाध्याय करने के लिये स्थान की जरूरत पडे तो गांव, नगर या राजधानी में जावे और जीवजन्तु से रहिन स्थान को ही स्वीकार करे . ..अादि शग्या अभ्ययन के सूत्र ६५ और ६५, पृष्ट ८४-८५ के कन्दमूल के वाक्य तक के अनुमार । वहा दो, तीन, चार या पांच भिक्षु स्वा:याय के लिये आवें तो वे सब आपस में एक-दूसरे के शरीर को ग्रालिंगन न करें, चुम्बन न करें, या दांत-नख न लगावें । भिक्षु या भिक्षुणी के ग्राचार की यही सम्पूर्णता है-श्रादि भाषा अध्ययन के अन्त-पृष्ट १०४ के अनुसार । [१६४]

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