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भिक्षा
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इन सात पिढेपणा या पानपणा में से किसी एक की प्रतिज्ञा लेने पर ऐसा न कहे कि मैं ने ही अच्छी प्रतिज्ञा ली है और दूसरो ने बुरी । परन्तु ऐसा समझे कि दूसरोने जो प्रतिज्ञा ली है और मैं ने जो ली है, वे सब जिन की श्राज्ञा के अनुसार ही हैं और सब यथाशक्ति ही ग्राचार पाल रहे है । [६३ ]