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याचारांग सूत्र
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बैठते हो, नग्नावस्था में संभोग सम्बन्धी बातें करते हो, दूसरी गुप्त बातें करते हों अथवा जिस घर से कामोद्दीपक चित्र हो-ऐसे मकान में मुनि न रहे । [६१-१८]
स्थान कैसे मांगे? मुनि को सराय आदि में जाकर अच्छी तरह तलाश करने के बाद स्थान को मांगना चाहिये । उसका जो गहस्वामी या अधिष्ठाता हो, उससे इस प्रकार अनुमति लेना चाहिये, 'हे श्रायुप्मान् । तेरी इच्छा हो तो तेरी अनुमति और आज्ञा से हम यहाँ कुछ समय रहेंगे।' अथवा (अधिक समय रहना हो तो) जब तक म्हना होगा या यह मकान जबतक तेरे अधीन होगा तवतक रहेंगे और उसके बाद चले जावेंगे, तथा (कितने रहेंगे, ऐसा पूछने पर ठीक संख्या न बता कर) जितने आगे, उतने रहेंगे। [२६]
भिक्षु जिसके मकान में रहे, उसका नाम पहिले ही जान ले, जिससे वह निमन्त्रण दे या न दे तो भी उसका अाहार-पानी (भिक्षा) न ले सके । [१०]
कुछ दोप कोई भिन्नु सराय (सराय से उस स्थान का तात्पर्य है जहा वाहर के यात्री पाकर ठहरा करते है, पहिले वे शहर में न होकर बाहर अलग ही होती थीं) आदि में (अन्य ऋतु मे एक मास और वर्षाऋतु में चार मास) एक वार रह चुकने के बाद वहा रहने को फिर अाता है तो यह कालातिक्रम दोप कहलाता है । [१]
कितने ही श्रद्धालु गृहस्थ अपने लिये पड़साल, कमरे, प्याऊ का स्थान, कारखाने या अन्य स्थान बनाते समय उसे श्रमण ब्राह्मण