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याचारांग सूत्र
सोने के पहिले, भितु मलमत्र त्यागने के स्थान को जान से । नहीं तो रात में मलमूत्र करने जाते समय वह गिर पटे, हाथ-पैर में लग जाय या जीवों की हिंमा हो । [१६] ___ सोते समय भिक्षु सिर से पैर तक शरीर को पांच ले । [३०]
उस स्थान पर बहुत से मनुष्य मो रहे हो तो इस प्रकार या योचे कि उसके हाथ-पैर अादि दूसरों की न लगे, नथा मान के बाद (जोर से) सांस लेते समय, छींकते समय, बगामी लेते समय, टकारते समय या वायु दोडते समय मुहा या गुदा हाथ से ढाक कर सावधानी से उन क्रियानी को करे । [ १०६]
वहा पर बहुत से मनुष्य यो रहे हो और घर छोटा हो, उचे नीचे दरवाजे वाला तथा भीड़ वाला हो तो उस मकान में रात में पाते-जाते समय हाथ आगे करके फिर पैर रख कर सावधानी से श्रावे-नावे क्योकि रास्ते में श्रमणों के पात्र, दंड, कमंटल, वन श्रादि इधर-उधर बिखरे पड़े हो और इस कारण असावधानी से प्रातेजाते समय भिक्षु वहाँ गिर पडे, हाथ-पैर में लग जाय या जीवो की हिंसा हो। [4]
विछाने की वस्तुओ को कैसे लौटावे ? बिछाने की वस्तुओं को भिक्षु जब गृहस्थ को वापिस दे तो ऐसी की ऐसी ही न दे दे पर उसके जीवजन्तु साफ करके मावधानी से दे। [ १०५]
समता भितुको सोने के लिये कभी मम जगह तो कभी विषम, कमी हवादार तो कभी वन्द हवा, कभी डांस मच्छर वाली तो कभी बिना