________________
I
आध्यात्मिक - विधान संग्रह पूजन-1
जन्म समय इन्द्रादि, कीना नह्वन सुमेरु पर । जन्मोत्सव कर याद, आनन्द धरि पूजूँ प्रभो ॥
ॐ ह्रीं मार्गशीर्षशुक्लैकादश्यां जन्ममंगलमण्डिताय श्री मल्लिनाथजिनेन्द्राय अर्घ्यं । ब्याह समय वैराग, धारि हृदय दीक्षा लही । निज स्वरूप में पाग, कर्म नाश उद्यम किया ॥
ॐ ह्रीं मार्गशीर्षशुक्लैकादश्यां तपोमंगलमण्डिताय श्री मल्लिनाथजिनेन्द्राय अर्घ्यं नि। केवलज्ञान सुपाय, धर्म तीर्थ प्रगटाइयो । निश्चय शिव - सुखदाय, पूजूँ अति उल्लास सौं ॥
ॐ ह्रीं पौषकृष्णद्वितीयायां ज्ञानमंगलमण्डिताय श्री मल्लिनाथजिनेन्द्राय अर्घ्यं नि. । सर्व कर्म मल जारि, अविनाशी शिवपद लह्यो । मुक्त स्वरूप निहार, प्रभु निश्चय पूजा करूँ 11
ॐ ह्रीं फाल्गुनशुक्ल पंचम्यां मोक्षमंगलमण्डिताय श्री मल्लिनाथजिनेन्द्राय अर्घ्यं नि. ।
जयमाला
(दोहा)
जयमाला जिनराज की, गाऊँ मंगल रूप |
कर स्मरण चरित्र प्रभु, ध्याऊँ (आँचलीबद्ध-चौपाई)
शुद्ध चिद्रूप ॥
जय-जय मल्लिनाथ भगवान, जिनमुद्रा लखकर अम्लान । आनन्द मेरे उर न समाय, तन का रोम-रोम पुलकाय ॥ महिमा प्रभु की कही न जाय, प्रभु भक्ति वाचाल कराय । परमब्रह्म परमात्मस्वरूप, दुन गुण तिहुँ जगमाँहिं अनूप ॥ जम्बूद्वीप विदेह मँझार, नृपति वैश्रवण चित्त उदार । मुनि सुगुप्ति के दर्शन किए, रत्नत्रय व्रत सहजहि लिए ॥ इक दिन वन विहार के काल, देखा वट का वृक्ष विशाल । किन्तु लौटते समय विनष्ट, देख हुआ था चित्त विरक्त ॥
Jain Education International
164
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org