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आध्यात्मिक पूजन- विधान संग्रह
मेरा सहज जीवन
अहो चैतन्य आनन्दमय, सहज जीवन हमारा है। अनादि अनंत पर निरपेक्ष, ध्रुव जीवन हमारा है ॥ टेक ॥ हमारे में न कुछ पर का, हमारा भी नहीं पर में। द्रव्य-दृष्टि हुई सच्ची, आज प्रत्यक्ष निहारा है ॥ १ ॥ अनंतों शक्तियाँ उछलें, सहज सुख ज्ञानमय विलसें । अहो प्रभुता परम पावन, वीर्य का भी न पारा है ॥२॥ नहीं जन्मूँ नहीं मरता, नहीं घटता नहीं बढ़ता । अगुरूलघु रूप ध्रुव ज्ञायक, सहज जीवन हमारा है || ३ || सहज ऐश्वर्य मय मुक्ति, अनंतों गुण मयी ऋद्धि । विलसती नित्य ही सिद्धि, सहज जीवन हमारा है ॥४॥
किसी से कुछ नहीं लेना, किसी को कुछ नहीं देना । अहो निश्चिंत परमानन्दमय जीवन हमारा है ॥५॥ ज्ञानमय लोक है मेरा, ज्ञान ही रूप है मेरा । परम निर्दोष समता मय, ज्ञान जीवन हमारा है || ६ || मुक्ति में व्यक्त है जैसा, यहाँ अव्यक्त है वैसा । अबद्धस्पृष्ट अनन्य, नियत जीवन हमारा है ॥७॥ सदा ही है न होता है, न जिसमें कुछ भी होता है। अहो उत्पाद व्यय निरपेक्ष, ध्रुव जीवन हमारा है ॥८॥ विनाशी बाह्य जीवन की, आज ममता तजी झूठी । रहे चाहे अभी जाये, सहज जीवन हमारा है ॥ ९ ॥
नहीं परवाह अब जग की, नहीं है चाह शिवपद की । अहो परिपूर्ण निष्पृह ज्ञानमय जीवन हमारा है ॥ १०॥
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