Book Title: Adhyatmik Poojan Vidhan Sangraha
Author(s): Ravindra
Publisher: Kanjiswami Smarak Trust Devlali

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Page 208
________________ 207 आध्यात्मिक पूजन- विधान संग्रह प्रतिमा प्रक्षाल पाठ - पण्डित अभयकुमारजी (दोहा) परिणामों की स्वच्छता, के निमित्त जिनबिम्ब । इसीलिए मैं निरखता, इनमें निज प्रतिबिम्ब || पञ्च प्रभु के चरण में, वन्दन करूँ त्रिकाल । निर्मल जल से कर रहा, प्रतिमा का प्रक्षाल ॥ Jain Education International अथ पौर्वाह्निकदेववन्दनायां पूर्वाचार्यानुक्रमेण सकलकर्मक्षयार्थं भावपूजास्तवनवन्दनासमेतं श्री पंचमहागुरुभक्तिपूर्वककायोत्सर्गं करोम्यहम् । (नौ बार णमोकार मन्त्र पढ़ें) (छप्पय) तीन लोक के कृत्रिम और अकृत्रिम सारे । जिनबिम्बों को नित प्रति अगणित नमन हमारे || श्री जिनवर की अन्तर्मुख छवि उर में धारूँ । जिन में निज का निज में जिन प्रतिबिम्ब निहारूं ॥ मैं करूँ आज संकल्प शुभ, जिनप्रतिमा प्रक्षाल का । यह भाव सुमन अर्पण करूँ, फल चाहँ गुणमाल का ॥ ॐ ह्रीं प्रक्षालप्रतिज्ञायै पुष्पांजलिं क्षिपेत् । (प्रक्षाल की प्रतिज्ञा हेतु पुष्प क्षेपण करें) (रोला) अन्तरंग बहिरंग सुलक्ष्मी से जो शोभित । जिनकी मंगल वाणी पर है त्रिभुवन मोहित || श्री जिनवर सेवा से क्षय मोहादि विपत्ति । जिन ! श्री लिख पाऊँगा निज - गुण सम्पत्ति ॥ (थाली की चौकी पर केशर से श्री लिखें) For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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