Book Title: Vyavaharsutram Bruhatkalpasutram
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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बहरमझ में चंदपडि म पडिबन्नस्स अणगारस्स पहुलपक्सस्स पाडिवए कप्पइ पन्नरस दत्तीओ भोयणस्स पडिगाहित्तए पन्नरस पाणगस्स. सम्वेहि दुप्पयचउप्पयाइएहि आहारकंसोहि जाच णो आहारेज्जा । बितियाए से कप्पइ चउस दतीमो मोयणस्स, चउपस पाणगस्स पडिगारिलए जाव णो आहारेज्जा । एवं जाव पणरमीए एगा दसी । सुक्कपक्खस्स पाडिवए कप्पड दो दत्तीओ, पीयाए तिणि जाव चउदसीए पणरस, पूणिमाए अनत्त भवइ । एवं खलु एसा बहरममा चंदपडिमा अहामुत्तं महाकप्पं अहामगं नाव अणुपालिया भवइ ॥४॥
पंचवि ववहारे पन्नत जहा आगमे १, सुए २. आणा ३, धारणा ४, जीए ५। जत्येव तत्य आगमे सिया आगमेणं बबहारं पष्ठज्जा , नो से तत्य आगमे सिया, जहा से तत्व मुर सिया मुएणं ववहार पट्टचे उजा. नो से तत्थ सुर सिया जहा से तत्व आणा सिवा आणाए बबहारं पट्टवेज्जा, नो से तस्य आणा सिया जहा से तस्थ धारणा सिपा धारणाए बवहारं पट्टवेज्जा, नो से तत्थ धारणा सिया जहा से वस्थ जीए सिमा जीरणं ववहारं पट बेज्जा, एप पंचहि वबहारेईि बवहारं पवेजा तंजा-आगमेणं मुएणं आणाए धारणाए जीएणं । जहा जहा आगमे मुए आणा धारणा जीप तहा सहा ववहारं पदठवेज्जा । से किमाहु भंते ! आगमबलिया समणा णिगंथा । इयं पंचसिं चवहारं जया जया हि जहिं क्या तया तहि तहि अणिस्सियोवस्सियं चार चहारे. माणे समणे णिग्गंथे आणाए आराहए भवइ ॥५॥
चचारि परिसजाया पन्नत्ता तंजहा-अकरे नाम पगे नो माणकरे १. माणकरे णाम एगे नो अहकरे २, एगे अनुकरे वि माणकरे वि ३, पगे नो अनुकरे नो माणकरे ॥६॥ __ चत्तारि पुरिसनाया पन्नत्ता तनहा-गणटकरे नाम एगेनो माणकरे १, माणकर मानएमे नो गणहकरे २, एगे गणडकरेवि माणकरेवि ३, एमे नो गणटकरे नो माणकरे
पसारि पुरिसजाया पन्नता तंजहा–गणसंगहकरे नाम एगे मो माणकरे १ एगे माणकरे मो गणसंगहरे २, एगे गणसंगहकरेवि-माणकरेवि ३, एगे को गणसगाकरें नो माणकरे ४ ॥८॥
चत्तारि परिसनाया पन्नता, जहा-गणसोहकरे नाम एगे नो माणकरें १ माणकरे नाम एगे नो गणसोहकरे २, एमे गणसोहकरेवि माणकरेवि ३, एगे नो गणसोहकरे णो माणकरे ४ ।।९।।
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