Book Title: Vyavaharsutram Bruhatkalpasutram
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 516
________________ परिहारकप्पहिए मिक्खू बहिया थेराण घेयावडियाए गच्छेज्जा, से य आइच्च अइक्कमिज्जा, तेच थेरा जाणिज्जा अप्पणो आगमेणं अन्नेसि वा अंतिए मुच्चा, तओ पच्छा तस्य अहालहुस्सए नाम ववहारे पट्टवेयव्वे सिया ॥५१॥ निमगंधीए य गाहावइकुलं पिंडवायपडियाए अणुप्पचिवाए अन्लयरे पुलागमते पडिग्गाहिए सिया, सा य संयरिज्जा कप्पइ से तदिवसं तेणेच भनटेणं पज्जोसवि त्तए, नो से कप्पइ दुच्चपि गाहावहकुलं पिंडवायपडियाए पविमित्तए, सा य नो संथरिज्जा एवं से कप्पइ दुच्चंपि गाहावइकुलं पिंडवायपडियाए पविसित्तए ॥ ५२ ॥ ॥ पंचमो उद्देसो समतो ॥५॥ .

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