Book Title: Vyavaharsutram Bruhatkalpasutram
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 495
________________ १६ बृहत् "शेवास्तेषां कल्पस्थितिरिति स्थविरस्थित रिति पछी ६ तिमि इति यमि-सुधर्मा स्वामी जम्बूस्वामिनं प्रति कथयति - हे जम्बु | यदहं तीर्थंकरमुखाद कल्पस्थितिविषये श्रुतवान् तदेव तुभ्यं कथयामि नतु स्वमनीषया प्रकल्य कथयामीति ॥ सू० २० ॥ 4 " 'इति श्री विश्वविख्यात जगल्लभ - प्रसिद्धवाचक पञ्चदशभाषाकुटितललितकला पालापक"प्रविशुद्धगयपद्यनेकमन्यनिर्मापक - वादिर्मानमक- श्री शाहू छत्रपति कोल्हापुर जप्रद स " जैनाचार्य " - पद भूषित - कोल्हापुर राजगुरु - बालबचारि - जैनाचार्य - जैनधर्म- दिवाकर--पूज्यश्री पासी लालच विविरचितायां "बृहत्कल्पसूत्रस्य" CRANE धूर्णिमाण्याऽवचूरीरूपायां व्याख्यायां दु पेठ उदेशकः समाप्तः ॥ ६ ॥ 14 8.0.0. Dolpanacho "समाप्त संचूर्णिमायावचूरीक प

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