Book Title: Vyavahar Sutram Part 06
Author(s): Munichandrasuri
Publisher: Omkarsuri Gyanmandir Surat

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Page 471
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir श्री । व्यवहार सूत्रम् दशम उद्देशकः १७०६ (B) जलमूग१ एलमूगो२, मम्मणमूको३ य भासजड्डो य । दुविहो सरीरजड्डो, थुल्लो १ करणे अनिपुणो २ य ॥ ४६११॥ ___ भाषाजड्डस्त्रिविधः । तद्यथा- जडमूकः १ एलमूको २ मन्मनमूकश्च ३। शरीरजड्डो द्विविधः। तद्यथा- शरीरेण स्थूलः १ करणे क्रियायामनिपुणश्च २॥ ४६११ ।। पढमस्स नत्थि सद्दो, जलमज्झे व भासतो । बीयओ एलगो चेव, अच्चंतं बुब्बुयायइ ॥ ४६१२॥ प्रथमस्य जलमूकस्य जलमध्ये इव भाषमाणस्य नास्ति शब्दः १ । द्वितीयः एडकमूकः एडक इव [अत्यन्तं] बुब्बुयायते २॥ ४६१२ ॥ मम्मणो पुण भासंतो, खलए अंतरंतरा। चिरेण नीति से वाया, अविसुद्धा व भासतो ॥ ४६१३॥ दारं ३।। मन्मनः पुनर्भाषमाणो अन्तरान्तरा स्खलति। यदि वा तस्य भाषमाणस्य वाक् */ चिरेण निर्गच्छति, अविशुद्धा वा ॥ ४६१३ ॥ गाथा ४४६०९-४६१७ | जड्डस्वरूपम्ः १७०६ (B) For Private And Personal

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