Book Title: Vyavahar Sutram Part 06
Author(s): Munichandrasuri
Publisher: Omkarsuri Gyanmandir Surat

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Page 492
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir . श्री व्यवहार सूत्रम् दशम उद्देशकः १७१७ (A) अझयणमुद्दिसित्तए ॥३३॥ ___ अट्ठारसवासपरियागस्स समणस्स निग्गंथस्स कप्पति दिट्ठीविसभावणानामं अज्झयणं मुद्दिसित्तए॥ ३४॥ एगूणवीसवासपरियागस्स समणस्स निग्गंथस्स कप्पति दिट्ठिवायनामं अंगे उद्दिसित्तए ॥३५॥ वीसतिवासपरियाए समणे निग्गंथे सव्वसुयाणुवाती भवति ॥ ३६॥ अस्य व्याख्या'तेयनिसग्गा सोलसे, आसीविसभावणं च सत्तरसे । दिट्ठीविस अट्ठारस, उगुण वीसे दिट्ठिवाओ य ॥ ४६४९॥ षोडशे वर्षे तेजोनिसर्गो नामाध्ययनमुद्दिश्यते। सप्तदशे वर्षे आशीविषभावनामुद्दिशन्ति। * दृष्टिविषभावनामष्टादशे वर्षे । एकोनविंशे एकोनविंशतितमे वर्षे दृष्टिवादो नाम |४|१७१७ ) १. तेअग्गिसग्गा - पु.प्रे.॥ सूत्र ३०-३६ गाथा ४४६४७-४६५७ | अध्ययनवयः For Private And Personal

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