Book Title: Vyavahar Sutram Part 06
Author(s): Munichandrasuri
Publisher: Omkarsuri Gyanmandir Surat
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir
श्री व्यवहारसूत्रम् दशम उद्देशकः
१७१४ (B)
महाकल्पश्रुतस्य चूलिका वर्गचूलिका । व्याख्याचूलिका पुनः प्रज्ञप्ते: व्याख्याप्रज्ञप्तेश्चूलिका मन्तव्या ॥ ४६३९ ॥ ४६४० ॥
सूत्रम्- बारसवासपरियागस्स समणस्स निग्गंथस्स कप्पति अरुणोववाए, गरुलोववाए, वरुणोववाए, वेसमणोववाए, वेलंधरोववाए नामं अज्झयणे उद्दिसित्तए ॥ २८॥
अत्र भाष्येण व्याख्याबारसवासे अरुणोववाय वरुणे य गरुल वेलधरे । वेसमणुववाए य तहा, एते कप्पंति उद्दिसिउं ॥ ४६४१॥
द्वादशवर्षे द्वादशवर्षपर्यायस्य अरुणोपपात: वरुणे य त्ति वरुणोपपात-गरुडोपपातौ || वेलन्धरोपपातो वैश्रमणोपपातश्च, एतानि पञ्चाध्ययनान्युद्देष्टुं कल्पन्ते ॥ ४६४१ ॥ १. अरुणोववाए, वरुणोववाए, गरुलोववाए, धरणोववाए,वेसमणोववाए इति-आगमप्रकाशन समिति व्यवहार संस्करणे पाठः॥
सूत्र २७-२९
गाथा ४६३९-४६४६
योग्यवयः
१७१४ (B)
For Private And Personal

Page Navigation
1 ... 485 486 487 488 489 490 491 492 493 494 495 496 497 498 499 500 501 502 503 504 505 506 507 508 509 510 511 512